तेहरान

ईरान के राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी नहीं रहे। खबर है कि हेलीकॉप्टर क्रैश में रईसी और ईरान के विदेश मंत्री हुसैन अमीर अब्दुलहियान की मौत हो गई है। ईरान सरकार की ओर से आधिकारिक तौर पर इस घटना की पुष्टि कर दी गई है। रविवार को हेलीकॉप्टर दुर्घटनाग्रस्त हो गया था। इसमें ईरान के कई अन्य अधिकारी भी सवार थे।

इस बीच अब पीएम मोदी ने भी इस घटना पर चिंता व्यक्त की है और ईरान के लोगों के साथ एकजुटता दिखाई है।

कहां हुई ये घटना?

जिस वक्त ये दुर्घटना हुई तब इब्राहिम रईसी ईरान के पूर्वी अजरबैजान प्रांत में यात्रा कर रहे थे। ईरान की राजधानी तेहरान से लगभग 600 किलोमीटर (375 मील) उत्तर-पश्चिम में राष्ट्रपति के हेलिकॉप्टर के हार्ड लैंडिंग की बात सामने आई। हालांकि, एक स्थानीय सरकारी अधिकारी ने इसे दुर्घटना कहा है। जानकारी के मुताबिक, रईसी के साथ ईरान के विदेश मंत्री हुसैन अमीराब्दुल्लाहियन, ईरान के पूर्वी अजरबैजान प्रांत के गवर्नर और अन्य अधिकारी तथा अंगरक्षक भी यात्रा कर रहे थे। 

पीएम मोदी ने जताई चिंता

भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी इस पूरे हादसे पर गहरी चिंता व्यक्ति की है। उन्होंने रविवार को X पर ट्वीट किया और ईरान के राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी की हेलीकॉप्टर उड़ान के संबंध में आ रही खबरों पर गहरी चिंता व्यक्त की और कहा कि संकट की इस घड़ी में भारत ईरानी लोगों के साथ एकजुटता से खड़ा है।

कौन हैं इब्राहिम रईसी?

63 वर्षीय इब्राहिम रईसी साल 2021 में राष्ट्रपति बने थे। उन्होंने इससे पहले देश की न्यायपालिका का नेतृत्व किया था। उन्हें ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनेई के वारिस के रूप में भी देखा जाता है। ईरान के सरकारी टीवी ने कहा है कि बचावकर्मी घटनास्थल तक पहुंचने का प्रयास कर रहे थे, लेकिन क्षेत्र में खराब मौसम के कारण इसमें बाधा आ रही है। 

समाचार एजेंसी रॉयटर्स से बातचीत में अधिकारियों ने बताया है, 'राष्ट्रपति रईसी, विदेश मंत्री और हेलीकॉप्टर में सवार सभी अधिकारियों की क्रैश में मौत हो गई है।' रिपोर्ट के अनुसार, ईरान की मेहर न्यूज एजेंसी की तरफ से भी मौत की पुष्टि कर दी गई है। इससे पहले रॉयटर्स को ईरान के एक अधिकारी ने बताया था कि रईसी और अब्दुलहियान को ले जा रहा हेलीकॉप्टर क्रैश होने के बाद बुरी तरह जल गया था।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस घटना पर दुख जताया है। उन्होंने लिखा, 'ईरान के इस्लामिक गणतंत्र के राष्ट्रपति डॉक्टर सैयद इब्राहिम रईसी के निधन की खबर सुनकर सदमा लगा है। भारत और ईरान के संबंधों को मजबूत करने में उनके योगदान को हमेशा याद किया जाएगा। उनके परिवार और ईरान की जनता के प्रति मेरी संवेदनाएं हैं। इस दुख की घड़ी में भारत, ईरान के साथ खड़ा है।'

खबर है कि रईसी समेत अन्य अधिकारी अमेरिका में बने Bell 212 हेलीकॉप्टर में यात्रा कर रहे थे। हाल ही में ईरान के रेड क्रीसेंट के प्रमुख पीर हुसैन कोलिवैंड ने बताया था, 'क्रैश साइट का पता चलने के बाद हेलीकॉप्टर के यात्रियों में से किसी के भी जीवन के संकेत नहीं मिले हैं।' कहा जा रहा है कि घटनास्थल बेहद दुर्गम घाटी में मौजूद है, जहां बचाव दल को पहुंचने में काफी मशक्कत करनी पड़ी।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक दुर्घटनाग्रस्त हेलीकॉप्टर काफिले में से एक हेलिकॉप्टर को देश के उत्तर में घने कोहरे के कारण परेशानियों का सामना करने के बाद रविवार को 'हार्ड लैंडिंग' करनी पड़ी। स्थानीय मीडिया के अनुसार राष्ट्रपति रईसी ईरान-अजरबैजान सीमा क्षेत्र से लौटने के बाद देश के उत्तर पश्चिम में तबरीज शहर की ओर जा रहे थे।

सोमवार सुबह ही तुर्की के अधिकारियों ने बताया था कि ड्रोन फुटेज में जंगल में आग जलती हुई नजर आई है। आशंका जताई जा रही थी कि वो पूरी तरह से तबाह हो चुके हेलीकॉप्टर का मलबा था। कहा जा रहा था कि मलबा अजरबैजान-ईरान सीमा से 20 किमी दूर दक्षिण में मिला एक ऊंचे पहाड़ के पास मिला है।

यह घटना ऐसे समय में हुई है जब रईसी और सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनेई के नेतृत्व में ईरान ने पिछले महीने इजराइल पर एक जबरदस्त ड्रोन और मिसाइल हमला किया था। इसके अलावा ईरान का यूरेनियम संवर्धन भी हथियार बनाने के लिए आवश्यक स्तर के करीब पहुंच गया है। ईरान को खराब अर्थव्यवस्था और महिला अधिकारियों को लेकर उसके शिया धर्मतंत्र के खिलाफ पिछले कुछ वर्षों में व्यापक पैमाने पर प्रदर्शन का सामना भी करना पड़ा है जिससे मद्देनजर इस हादसे के परिणाम तेहरान और देश के भविष्य के लिए कहीं अधिक गंभीर हो सकते हैं।

घटना के बाद से ही 40 अलग-अलग रेस्क्यू टीम को जंगलों और पहाड़ी इलाकों में भेजा गया था. लेकिन बेहद खराब मौसम के कारण इस क्षेत्र में पहुंचना बहुत मुश्किल हो गया था. जबकि आकाश मार्ग से वहां पहुंचना संभव नहीं है.

पहाड़ी इलाके और भौगोलिक बाधाओं की वजह से राष्ट्रपति की टीम के साथ गए लोगों से संचार लगभग असंभव हो गया था.

एक ईरानी टेलीविजन रिपोर्टर ने कहा कि जैसे-जैसे शाम हुई अंधेरा बढ़ता गया और ठंड भी बढ़ती गई. इलाके में सड़कें पक्की नहीं होने, बारिश और कीचड़ होने की वजह से रेस्क्यू टीम को घटनास्थल तक पहंचने में काफी दिक्कत हुई.

हादसे की वजह क्या?

इस दुर्घटना की असल वजह तो हेलिकॉप्टर रेस्क्यू ऑपरेशन पूरा होने के बाद सामने आ सकती है. हालांकि, ईरानी मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक शुरुआती कारण खराब मौसम को बताया जा रहा है. बताया जा रहा है कि खराब मौसम की वजह से इस हेलिकॉप्टर की 'हार्ड लैंडिंग' हुई. तेहरान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक हादसा घने कोहरे की वजह से हुआ है. दुर्घटना तेहरान से करीब 600 किलोमीटर (375 मील) उत्तर-पश्चिम में अजरबैजान प्रांत की सीमा पर जोल्फा के पास हुआ है. हेलिकॉप्टर सुंगुन नामक तांबे की खदान के पास दुर्घटनाग्रस्त हुआ. यह ईरान के पूर्वी अजरबैजान प्रांत के जोल्फा और वरजकान के बीच स्थित है.

अमेरिकी हेलिकॉप्टर में भर रहे थे उड़ान

बता दें कि 63 वर्षीय इब्राहिम रईसी 2021 में ईरान के राष्ट्रपति चुने गए थे. पदभार ग्रहण करने के बाद उन्होंने नैतिकता कानूनों (Morality Laws) को कड़ा करने का आदेश दिया. उनके कार्यकाल में सरकार विरोधी प्रदर्शनों पर सुरक्षा बलों ने हिंसक कार्रवाई की. उन्होंने विश्व के शक्तिशाली देशों के साथ परमाणु वार्ता के दौरान ईरान को परमाणु संपन्न राष्ट्र बनाने के लिए कड़ी मेहनत की. ईरान की स्टेट न्यूज एजेंसी आईआरएनए ने कहा कि रायसी अमेरिका निर्मित बेल 212 हेलीकॉप्टर में उड़ान भर रहे थे.

सुप्रीम लीडर ने जारी किया बयान

हादसे के बाद राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी को लेकर पूरा ईरान चिंता में डूबा हुआ था. घटना के बाद वहां के सुप्रीम लीडर अयातुल्ला खुमैनी ने भी अपना बयान जारी किया था. तब उन्होंने कहा था,'हमें उम्मीद है कि खुदा राष्ट्रपति और उनके साथियों को राष्ट्र की बाहों में लौटा देंगे. सभी को उन लोगों की बेहतरी के लिए दुआ करनी चाहिए. ईरान के लोगों को हादसे के लिए चिंतित होने की जरूरत नहीं है. देश में चल रहे किसी भी काम में कोई रुकावट नहीं आएगी.' हालांकि ताजा जानकारी के अनुसार राष्ट्रपति रईसी की इस हादसे में मौत हो चुकी है.

अजरबैजान क्यों गए थे रईसी?

दरअसल, ईरान और अजरबैजान अपने रिश्तों को सुधारने के लिहाज से अजरबैजान में सामूहिक डैम का निर्माण कर रहे हैं. इस कड़ी में यह तीसरा बांध था, जिसका उद्घाटन करने इब्राहिम रईसी अजरबैजान गए हुए थे. उद्घाटन कार्यक्रम के लिए उन्हें अजरबैजान के राष्ट्रपति इल्हाम अलीयेव ने आमंत्रित किया था.

ईरानी संविधान के मुताबिक, अगर किसी सिटिंग राष्ट्रपति की अचानक मौत हो जाती है, तो उस सूरत में आर्टिकल 131 के तहत प्रथम उपराष्ट्रपति को अधिकतम 50 दिनों के लिए यह जिम्मेदारी सौंपी जा सकती है. हालांकि इसके लिए ईरान सर्वोच्च नेता यानी आयतुल्ला खामनेई की मंजूरी जरूरी होगी. इस हिसाब से ईरान के प्रथम उपराष्ट्रपति मोहम्मद मोखबर को अब राष्ट्रपति बनाया जा सकता है.


इसके बाद उपराष्ट्रपति, संसद के अध्यक्ष और न्यायपालिका के प्रमुख से बनी परिषद को अधिकतम 50 दिनों के अंदर नए राष्ट्रपति के लिए चुनाव की व्यवस्था करनी होगी. इब्राहिम रईसी 2021 में राष्ट्रपति चुने गए थे और अब अगला राष्ट्रपति चुनाव 2025 में होने थे. हालांकि अब उनकी मौत के बाद जल्द ही वहां दोबारा से चुनाव कराए जाएंगे.

कौन हैं उपराष्ट्रपति मोहम्मद मोखबर?

ईरान में प्रथम उपराष्ट्रपति का पद निर्वाचित नहीं, बल्कि एक नियुक्त पद है, यानी इसके लिए चुनाव नहीं होते, बल्कि राष्ट्रपति खुद अपने सहयोगी को नियुक्त करते हैं. रईसी ने भी राष्ट्रपति का पदभार ग्रहण करने के तुरंत बाद अगस्त 2021 में मोखबर को प्रथम उपराष्ट्रपति नियुक्त किया था.

 

Source : Agency